(Accounting) एकाउंटिंग क्या हे और क्यों की जाती हे ?

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Accounting क्या होता है ? एकाउंटिंग यानि लेखांकन! व्यावसायिक खातो और व्यवसायिक लेनदेन का विधि अनुसार दस्तावेज रखने और खातो को लिखने की प्रक्रिया को ही एकाउंटिंग या लेखांकन कहते हे। यहाँ एक वाणिज्यिक विधि हे इसके अपने सिद्धांत हे, और यहाँ वितीय लेनदेनो को नियंत्रित करने के लिए की जाती हे। तथा यह सभी प्रकार  की  व्यवसाय के लिए लागु होती हे, किन्तु कुछ व्यापारो के लिए अनिवार्य रूप से लागु होती हे।




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इसकी अनिवार्यता व्यवसाय के आकार प्रकार पर निर्भर करती हे। वेसे व्यवाहरिक द्रष्टि से सभी को एकाउंटिंग करनी चाहिए ताकि उचित मूल्याकन किया जा सके, तथा किसी भी विवाद की स्थिति में व्यवसायिक प्रमाण के तोर पर इसका इस्तेमाल किया जा सके। वेसे एकाउंटिंग करने का प्रमुख उदेश्य लाभ और कर(Tax) का उचित निर्धारण किया जा सके।



लेखांकन विधि के मानक पूरी दुनिया में सामान हे ताकि पूरी दुनिया में व्यापार में सुगमता हो। इसलिए इस विधि को आधुनिक एकाउंटिंग या लेखांकन कहते हे। आधुनिक एकाउंटिंग में (Double Entry System) दोहरा लेखांकन पद्धति का इस्तेमाल किया जाता हे। इस पद्धति में दोनों खाते सामान रूप से जुड़े होते हे तथा दोनों खातो में अंको की संख्या भी सामान होती हे। इस पद्धति में दोनों खाते एक दुसरे के पूरक होते जेसे एक डेबिट (नामे) होता हे तो दूसरा क्रेडिट (जमा) होता हे। मतलब प्लस (+) माईनस (-) ऋणात्मक और धनात्मक के सिध्दांत पर कार्य करती हे।



इस पद्धति में वितीय वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर (1 अप्रैल से 31 मार्च) सामान होता हे। (Double Entry System) के पहली बार पूर्ण सैद्धांतिक नियम फ़्रांसीसी नागरिक Luca de Pacioli, लुका डी पासोली ने सन 1445 में प्रस्तुत किये थे।


पद्धति तीन प्रमुख नियमो पर आधारित हे



  1. पाने वाला नामे (Debit) और देने वाला जमा (Credit)

  2. सभी आय, लाभ जमा (Credit) और सभी व्यय, हानि नामे (Debit)

  3. आने वाला नामे (Debit) और जाने वाला जमा (Credit)



इस पद्धति में तीन चरण होते हे 




  1. लेखांकन (Entry of Transaction)

  2. बही खाता लेखांकन (Bookkeeping) Maintain the Books and Recorded

  3. अंककेक्षण (Audit) खातो का परिक्षण




इस पद्धति में तीन प्रकार के खाते होते हे


1) (Personal Account) व्यक्तिगत खाते :-

⇨ जो खाते व्यक्ति के नाम को दर्शाते हे उसे Personal Account कहते हे। जेसे राम और श्याम आदि |



2) (Real Account) वास्तविक खाते :-

⇨ जो खाते किसी वस्तू या सम्पति को दर्शंते हे उसे Real Account कहते हे। जेसे कैश बैंक और कंप्यूटर आदि |



3) (Nominal Account) नाम मात्र के खाते :-

⇨ जो खाते लाभ, हानि और आय, व्यय को दर्शाते हे उसे Nominal Account कहते हे। जेसे सैलरी, वैजेस, रेंट, सेल्स, परचेस आदि।


वेसे लेखांकन की प्राचीन पद्धति भी हे इन का विवरण इस प्रकार हे




  • नगद लेनदेन पद्धति (Cash Transaction System) इस में नगद लेनदेन का ही लेखा किया जाता हे |

  • एकल लेखा पद्धति (Signal Entry System) इस में लेनदेन के एक पक्ष का लेखा किया जाता हे |

  • बही खाता पद्धति (Book Keeping System) इस में नगद उधार दोनों लेनदेनो का लेखा किया जाता था |





निष्कर्ष :-  लेकिन इन सब पद्धति के सिध्दांत व्यावसायिक लेनदेन के उचित मूल्यांकन नहीं किया जा सकता हे इसलिए (Double Entry System) का प्रचलन अधिक हुआ |