नागार्जुन [Nagaarjun]

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 जीवन परिचय










जन्म:- नागार्जुन का जन्म उसके ननिहाल सतलखा जिला दरभंगा (बिहार)
में सन् 1911 में हुआ था | इनका पैत्रिक गाँव तरौनी, जिला मधुबनी था | इनका मूल
नाम वैधनाथ मिश्र था | इनकी प्राम्भिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत पाठशाला में हुई |
उच्च शिक्षा वाराणसीऔर कोलकत्ता में प्राप्त की | सन् 1936 में वे श्रीलंका गए व
वहीं पर बौद्ध धर्म  में दीक्षित हुए | सन्
1938 मव वे स्वदेश वापस आए | पक्कड़पन तथा घुमाक्करी उनके जीवन की प्रमुख विशेषतए
रही है | राजनितिक कार्यकलापो की वजह से अनेक बार उन्हें जेल जाना पड़ा |





          सन् 1935 में उन्होंने ‘दीपक’ (हिंदी मासिक) और 1942-43 में
‘विश्वबंधू’ (साप्ताहिक) पत्रिका  का
संपादन किया | अपनी मृत भाषा मैथिली में वे यात्री के नाम से लेखन करते रहे | मैथिलि
में नविन भावबोध की रचनाओ का आरम्भ उनके महत्वपूर्ण कविता संग्रह ‘चित्रा’ से माना
जाता है | नागार्जुन ने संस्कृत और बंगाली में भी काव्य रचना की है |






निधन:- इनकी मृत्यु सन् 1998 में हुई|





रचनाएँ:- उनकी प्रमुख कृतिया है- ‘प्यासी पथराई आखें’, ‘सतरंगो पंखो
वाली’, ‘तलाब की मछलिय’, ‘हजार-हजार बहों वाली’, ‘तुमने कहा था’ , ‘पुरानी जूतियो
का कोरस’, ‘आखिर एसा किया कह दिया मैने’, ‘रत्नगर्भा’, ‘ऐसे भी हम क्याः ऐसे भी
तुम क्या’, ‘पका है कटहल’, ‘मैं मिलतरी का बुढा घोरा’, और ‘भास्मकुर’ (खंडकाव्य) |
‘बलचनमा’, ‘रतिनाथ की चाची’, ‘कुंभीपाक’, ‘उग्रतारा’, ‘जमनिया का बाबा’, ‘वरुण के
बेटे’ आदि उपन्यास खास महत्वा के है |







साहित्यिक विशेषतएँ:- नागार्जुन साहित्यक और राजनीती दोनों में सामान रूप से रूचि
रखने वाले प्रगतिशील साहित्यकार थे | वे धरती, जनता और श्रम के गीत गाने वाले
संवेदनशील कवि थे |  कबीर जैसी सहजता उनके
काव्य की विशेषता हैं | उनकी  भाषा में
चट्टा्नकी मजबूती है | उन्होंने कई आन्दोलन धर्मी कविताओ भी लिखी है जिन्हें
‘पोस्टर कविता’ कहा जाता है | वे अच्छे उपन्यासकार भी थे |