गजानन माधव मुक्तिबोध [gajanan madhav muktibodh]

Hindi Articles


 जीवन परिचय










जन्म:- गजानन जी का जन्म श्योरपुर क़स्बा, ग्वालिअर, मध्यप्रदेश में
सन् 1917 में हुआ था | उनके पिता पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर थे | बार-बार पिता
के बदली होने के कारण गजानन की पढाई का क्रम टूटता-जुड़ता रहा, इसके बद भी उन्हें
सन् 1954 में नागपुर विश्वविधालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की | पिता के
व्यक्तित्व के प्रभव के कारण उनमे ईमानदारी, न्यायप्रियता तथा दृढ  इच्छाशक्ति के गुण विकसित हुए | लम्बे समय तक ‘नया
खून’ (साप्ताहिक) का संपादन करने के पशचत् उन्होंने दिग्विजय महाविधालय,
राजनाँदगाँव (एम.प.) में अध्यापन कार्य किया |





रचनाएँ:- मुक्तिबोध के काव्य संग्रह हैं- ‘चाँद का मुह तेढा है’ और
‘भूरी-भूरी खाक धुल’ | ‘नए सहित्य का सौन्दर्यशस्त्र’, ‘कामायनी: एक पुनर्विचार’
‘एक सहितियक की डायरी’ आदि उनकी आलोचनात्मक कृतियाँ हैं | छह कह्न्दो में
प्रकाशित  ‘मुक्तिबोध रचनावली’ में उनकी
समस्त रचनाएँ अब एक साथ उपलब्ध हैं | यहाँ उनकी लोकप्रिय पुस्तक ‘एक सहितियक की
डायरी’ का एक अंश पेश है |




gajanan madhav muktibodh





सहितियक विशेषतएँ:- मुक्तिबोध का सम्पूर्ण जीवन संघर्षॉं तथा विरोधो से भरा रहा
| उन्होंने मार्क्सवादी विचारधारा का अध्ययन किया, जिसका असर उनकी कवितायों में
दिखाई देती है | पहली बार उनकी कवियाएँ सन् 1943 में आज्ञेय द्वारा सम्पादित
‘तारसपक्त’ में छपी | कविता के अलावा उन्होंने कहानी, उपन्यास, आलोचना आदि पर भी
लिखा है  जो कविता द्वारा लिखे गए गध
अद्भुत नमूना है | मुक्तिबोध एक समर्थ पत्रकार भी थे | उनकी ए विशेषताएँ अगली पढ़ी को
रचनात्मक देती रही है  | मुक्तिबोध नई
कविता के मुख्या कवि है | उनकी संवेदना तथा ज्ञान का दायरा व्यापक है | गहन
विचारशीलता और विशिष्ट भाषा-शिल्प की वजह से उनकी सहित्य की एक अलग पहचान है | स्वतंत्र
भारत के मध्यवर्ती की जिंदगी की विडंबनाओ तथा विद्रूपताओ का चित्रण उनके सहित्य
में है और साथ ही एक बेहतर मानवीय समाज-व्यवस्था के निर्माण की आकांक्षा भी | मुक्तिबोध
के सहित्य की एक बड़ी विशेषता आत्मालोचन की प्रवृत्ति है |