भाई दूज पर लेख और निबंध bhai Duj par nibandh

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भाद्र द्वितीय कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व  भाई दूज है ।जो हिंदू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीय  भी कहते हैं। भाई दूध दीपावली के तीसरे दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है जो भाई के प्रति बहन जे स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहने अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती है।

भाई दूज। यम द्वितीया। लेख। निबंध 

भाई दूज मनाने का मुहूर्त

हमारे हिंदू धर्म में हर त्यौहार को मनाने का एक मुहूर्त होता है वैसे ही भाई दूज को मनाने का भी एक मुहूर्त होता है भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक करके मनाया जाता है।

भाई दूज की पूजा की सामग्री

भाई को तिलक करने से पहले बहने कुछ आवश्यक सामग्रियों का इस्तेमाल करती है जो कि इस प्रकार है।

(१) आरती की थाली

(२) तिलक के लिए कुमकुम चावल

(३) नारियल ,(सूखा गोला ,खोपरा)

(४) मिठाई

(५) सर ढकने के लिए रुमाल  या स्वच्छ कपड़ा

(६)बैठने के लिए आसन ,पटिया

भाईदूज की पौराणिक कथा अनुसार

कार्तिक शुक्ल की  द्वितीय तिथि को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कार पूर्वक भोजन कराया था उस दिन नरक का जीवन जी रहे जीवो को इस यातना से छुटकारा मिला था और वह पाप मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गए और सभी अपनी इच्छा अनुसार संतोष पूर्वक रहते थे।

उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो की यम लोक के लिए हम सुख और खुशी पोहचने  वाला था इसलिए ये तिथी तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से प्रख्यात हुई , जिस तिथि  के दिन यमुना ने यम को अपने घर बुलाकर भोजन कराया था उसी तिथि  के दिन जो मनुष्य अपनी बहनों के हाथों से अच्छा भोजन करता है उसे पौराणिक मान्यता के अनुसार उत्तम  भोजन सहित धन की प्राप्ति होती है।

भाई दूज की रोचक कथा अनुसार

एक बूढ़ी औरत के साथ बैठे थे और एक बेटी थी बेटों पर सर्प की कुदृष्टि थी जैसे ही उसके बेटे की शादी में  का सातवा फेरा होता साँप उसे डस लेता है इस प्रकार बुढ़िया के छह बेटे मर गए इस डर से उसने सातवें बेटे की शादी नहीं करी लेकिन बहन ने देखा लेकिन बहन से यह  सब देखा नहीं जा रहा था तो वह एक ज्योतिषी के पास गयी ज्योतिषी ने उससे कहा तेरे भाइयों पर सर्प की कुदृष्टि है अगर तू उसकी सारी  बलाये अपने ऊपर लेले तो उसकी जान बच सकती है तो उसने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया वह जोर-जोर से चिल्लाने व सबसे लड़ने लगती थी उसके बाद सभी लोग इस वजह से उसकी सब बातें मानने लगे थे।

जब उसके भाई की शादी का वक्त आया और उसके जीजा जी उसके भाई को सेहरा बांधने लगे तोवह चिल्लाने लगी सहरा पहले में बाँधूँगी तो सहरा उसे बांध दिया सहरा में साँप था तो उसने उसे फेंक दिया जब उसके भाई का  घोड़े पर बैठने का समय आया तो वो फिर चिल्लाने लगी कि मैं घोड़े पर बैठूंगी इस प्रकार उसे फिर घोड़े ओर बैठा दिया  जिस पर साँप था ,उसने उसे भी फेक दिया इस प्रकार स्वागत के समय भी यही हुआ ।

अब जब शादी शुरू हुई तो सांपों का राजा उसे ढसने आया तब बहन ने उसे एक टोकरी में बंद कर दिया फेरे होने लगे तब  नागिन बहन  के पास आई और बोली मेरे पति को छोड़ दे तब बहन बोली पहले मेरा भाई से अपनी कुद्रष्टि हटा नागिन ने ऐसा ही किया, इस प्रकार उसने अपने आप को बुरा बना कर ना केवलबअपने भाई की रक्षा ही नहीं बल्कि उसके प्राण भी बचाए।

भाई दूज की मान्यता

भाई दूज को लेकर हमारे देश में यह मान्यता प्रचलित है कि इस दिन बहनें भाई को प्रेम पूर्वक तिलक कराती हैं उन्हें प्यार से भोजन कराती है और भगवान से उनकी लंबी आयु की कामना करती है क्योंकि इस दिन यमुना जी ने भी अपने भाई  यमराज से वचन लिया था उसके अनुसार भाई दूज मनाने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है और भाई-बहन में प्रेम के साथ ही सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

भाई दूज के कई अन्य नाम भी है 

भाई दूज को भारत में विभिन्न स्थान में विभिन्न नामों से पुकारा जाता है (गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक )में इसे भाऊबीज कहते है (नेपाल) में भाई तिलक कहते हैं( बंगाल) में ईसे भरात्रु द्वितीया, भाऊबीज, भाई फोटा, और (मणिपुर) में निंनगोल, चोकुवा, नाम से पुकारते हैं। इस प्रकार हमारे देश भारत में भाई दूज को कई अन्य नाम से भी पुकारा जाता है ।

उपसंहार

बचपन से ही भाई का बहन का एक दूसरे के प्रति ध्यान और प्रेम की भावना झलकती  है ,और इसी प्रेम को दर्शाने के लिए यह त्योहार बने है। भाई दूज होली और दीपावली दोनों ही समय आती है दोनों में ही बहन का केवल प्रेम और स्नेह  ही झलकता है भाई बहन अपनी सभी लड़ाई-झगड़ों को भुलाकर बहने भाई को तिलक करती है।  बहने अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी खुशहाली और लंबी आयु की कामना करती है हमारे देश भारत में प्रेम और स्नेह को दिखाने वाले इतने सुंदर ओर प्यारे त्योहार है जो शायद ही कही होंगे।