सिंधु घाटी सभ्यता, मोहनजोदडो, हड़प्पा सभ्यता का इतिहास और रहस्य।

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जब-जब प्राचीन इतिहास की चर्चा होती है तो सिन्द्धु घाटी सभ्यता का नाम इतिहास के पन्नों में बहुत ही मशहूर है जब-जब सिंधु घाटी सभ्यता का नाम आता है उस सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े रहस्यमई नगर मोहनजोदड़ो का नाम सबसे पहले आता है जो अब दक्षिणी एशिया के सिंधु नदी के पश्चिम में लरकाना डिस्ट्रिक्ट पाकिस्तान में मौजूद है। 

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 सिंधु घाटी सभ्यता, मोहनजोदडो, हड़प्पा सभ्यता का इतिहास और रहस्य। 

यह एक समय भारत का हिस्सा हुअा करता था परन्तु आजादी के बाद बंटवारे के साथ यह ऐतिहासिक शहर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। मोहनजोदड़ो का अर्थ होता है मुर्दों का टीला। मनुष्य द्वारा निर्मित विश्व का सबसे पुराना शहर माना जाता है। 

आखिर क्या है ? मोहनजोदडो का इतिहास। हड़प्पा सभ्यता से इसका क्या संबंध है मोहनजोदारो इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है क्यों मोहनजोदाड़ो का हिंदू धर्म से संबंध बताया जाता है। 


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मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के ऑफिसर राखल दास बनर्जी ने की थी यह शहर सिंधु नदी के किनारे स्थित है हड़प्पा में २ साल तक बहुत ही ज्यादा खुदाई के बाद हड़प्पा से 590 किलोमीटर दूर  उत्तर दिशा में मोहनजोदडो की खोज हुई थी बाद में मोहनजोदड़ो की ज्यादातर खुदाई 1964 से 1965 तक Dr. George F. Dales ने करवाई थी इसके बाद खुदाई को रोक दिया गई ताकि सर्वेक्षण को सुरक्षित रखा जा सके । माना जाता है यह शहर 200 हेक्टर क्षेत्र में फैला हुआ था कहा जाता है सौ साल में जितनी खुदाई हुई है यह मात्र  इसकी  एक तिहाई ही है इस की खुदाई में धातु की मूर्तियां और बहुत सारी मूल्यवान वस्तुएं शामिल है कहा जाता है। 

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यह सभ्यता 5500 साल पुरानी होने के साथ-साथ इसकी जनसंख्या 40000 से भी अधिक थी आईआईटी खड़गपुर  और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार यह 5500 नहीं बल्कि 8000 साल पुरानी सभ्यता थी मोहनजोदारो नगर के लोग बहुत बुद्धिमान थे इतने साल पहले बने इस शहर को इतने व्यवस्थित ढंग से बनाया गया है कि जिसकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते हैं पाकिस्तान के सिंध में लगभग 4600 साल पहले इसका निर्माण हुआ था खुदाई के दौरान इस शहर की बारे में लोगों को जानकारी हुई इसमें बड़ी-बड़ी इमारतें जलकुंड, मजबूत दीवार वाले घर, सुंदर चित्र कार्य, मिट्टी और धातु की बनी बर्तन मुद्राएं मूर्तियां तराशे हुए पत्थर और भी बहुत सी चीजें मिली जिससे यह पता चलता है कि यह एक व्यवस्थित शहर बना हुआ था जैसे हम आज रहते हैं वैसे ही वह लोग भी घरों में रहते थे, खेती किया करते थे ।

इस प्राचीन सभ्यता के लिए पाकिस्तान को एक नेशनल आइकन माना जाता है सन 1856 में एक अंग्रेज इंजीनियर रेल रोड बनाते समय इस प्राचीन सभ्यता को खोज निकाला था रेलवे ट्रैक बनाने के लिए यह इंजीनियर पत्थरो की तलाश कर रहा था जिससे वह गिट्टी बना सके यहां उन्हें बहुत मजबूत और पुराने ईट मिली जो बिल्कुल आज की ईट की तरह बनी हुई थी वहां के एक आदमी ने बताया इस सब के घर इन्हीं ईट से बने हैं जो उन्हें खुदाई में मिलते हैं तब इंजीनियर समझ गया कि यह जगह किसी प्राचीन शहर के इतिहास से जुड़ी है इस इंजीनियर को सबसे पहले सिंधु नदी के पास बसे इस सबसे पुरानी सभ्यता के बारे में पता चला था सिंधु नदी के पास होने के कारण इस स्थान को सिंधु घाटी की सभ्यता कहा गया इस प्राचीन सभ्यता के समय एक और प्राचीन सभ्यता की थी जिसमें  यह बात पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा कही गई है शहर के चारों ओर ईट की मोटी दीवार थी जो रक्षा के लिए बनाई गई थी इसके साथ ही पता लगाया गया कि कुछ लोग ईट के घरों में रहते थे जो तीन तीन मंजिल के बने हुए थे कुछ घरों में बाथरूम भी थे जिसमें पानी निकास के लिए नालियां भी थी दुनिया में पहली नाली का निर्माण यहीं से हुआ। 

पुरातत्व के अनुसार लोग खेती भी किया करते थे उन्हें गेहूं चावल उगाना आता था लोग जानवर भी पाला करते थे। भारतीयों द्वारा मोहनजोदड़ो की खोज सन 1922 में राखल दास बनर्जी जो पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्य थे पाकिस्तान में सिंधु नदी के पास में खुदाई का काम किया था उन्हें बुद्ध का स्तूप  सबसे पहले दिखाई दिया जिसके बाद आशंका जताई गई कि यहां नीचे कुछ इतिहास दबा हुआ है आगे बढ़ाते हुए। 1925 में जॉन मार्शल ने खुदाई का काम करवाया सन 1965 तक इसे भारत के अलग-अलग लोगों की कमांड में करवाया गया लेकिन इसके बाद इस खोज को बंद करा दिया गया और कहा गया कि खुदाई की वजह से प्रकृति को नुकसान हो रहा है।

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मोहनजोदड़ो की विशेषताएं :-  खोज के दौरान पता चला यहां के लोग गणित का भी ज्ञान रखते थे इन्हें जोड़ घटाना मापना सब आता था जो एक ईंट उस समय अलग अलग शहर में उपयोग की गई थी वह सब एक ही वजन व साइज की थी मानो की एक ही सरकार के द्वारा बनवाया गया था पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के लोग गाने बजाने खेलने कूदने के भी शौकीन थे। 

उन्होंने कुछ म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट भी खोज निकाले थे वे लोग साफ सफाई पर ध्यान देते थे उन्होंने कंकाल  के दांत का निरीक्षण भी किया था जिससे यह पता चला था कि उनकी नकली दांत भी लगे हुए मतलब प्राचीन सभ्यता में डॉक्टर भी हुआ करते थे। 

कुछ लोगो ने बहुत से धातु के गहने व कॉटन के कपड़े भी खोज निकाले थे यह गहने आज भी बहुत से संग्रहालय में रखे हुए हैं इसके अलावा बहुत सी चित्रकारी, मूर्तियां,सिक्के, दिए,बर्तन, बाज़ार भी मिले थे जिन्हें देश विदेश के संग्रहालयों में रखा गया है। 

खोज में पता चला था कि यह लोग खेती भी किया करते थे कुछ इससे यह सिद्ध होता है कि इनको पढ़ना लिखना भी आता था जहां के लोग सोने चांदी के गहने भी पहनते थे। 

ये एक रहस्या बना हुआ है और अनुमान लगाया जाता है : कहते हैं प्राचीन सभ्यता में 5000000 तक लोग रहते थे। वह भूचाल आया और सब तहस-नहस कर दिया। इसी भूचाल के चलते मोहनजोदड़ो दब गया और भूकंप के बाद हिमालय पर्वत बन गया कुछ खोज से पता चलता है कि उस समय वहां रहने वालों के दुश्मन भी हुआ करते थे कुछ हमलावरों ने वहां हमला कर पूरे शहर को नष्ट कर दिया था अभी पुरातत्व वाले और खोज में लगे हुए हैं पता कर रहे हैं कि कैसे इस शहर का निर्माण हुआ वहां रहने वालों ने कैसी इतने अग्रिम सभ्यता का निर्माण किया और कैसे इनका अंत हुआ? सब सवालों के जवाब के लिए पुरातत्ववेत्ताओं की खोज जारी है

इस वीडियो को सुने सिंधु घाटी सभ्यता, मोहनजोदडो, हड़प्पा सभ्यता का इतिहास के बारे में कुछ मजेदार बातें आपको पता चलेगी।


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