देव [Dev]

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 जीवन परिचय




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जन्म:- महाकवि देव का जन्म सन् 1673 में इटावा उत्तर प्रदेश में
हुआ था | उनका पूरा नाम देवदत्त द्विवेदी था | औरंगजेब के पुत्र आलमशाह के संपर्क
में आने से देव ने कई अस्रादाता बदले, परन्तु उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि भोगीलाल
नाम के सह्रदय अश्रेदाता के यहाँ प्राप्त हुई जिसमे उनके काव्य से खुश होकर इन्हें
लाखो की संपत्ति दान की | कई अश्रेयदाता राजाओं, नवाबो, धनिकों से सम्बन्ध रहने के
कारण राज दरबारों का आदम्बर्पूर्ण व चाटुकारिता भरा जीवन देव ने बहुत नजदीक से
देखा था, इसलिए उन्हें ऐसे जीवन से वृतषषना हो गयी थी |





रचनाएँ:- देव कृत कुल ग्रंथो की संख्या 52 से 72 तक मानी जाती है |
उनमे ‘भावविलास’, ‘भवानीविलास’, ‘अष्टयम’, ‘सुमिल विनोद’, ‘सुजन्विनोद’ ,
‘काव्यरसायन’, ‘प्रेमदीपिका’ आदि मुख्या है |





भाषा शैली:- देव के कवित्त सवैयों में प्रेम व सौंदर्य के इन्द्रधनुष
चित्र मिलती हैं | संकलित सवैयों तथा कवित्तों में एक तरफ जहाँ रूप-सौन्दर्य का
अलंकारिक चित्रण हुआ है, वही रागात्मक भावनाओ की अभिव्यक्ति भी संवेदनशील के साथ
हुई है |





          रीतिकालीन कविओ में देव बड़े प्रगतिशील कवि थे | दरबारी
अभिरुचि से बंधे होने के कारण उनकी कविता में जीवन के विविध दृश्य नही मिलते,
परन्तु उन्होंने प्रेम और सौन्दर्य के मार्मिक चित्र पेश किए है |