मलिक मुहम्मद जायेसी [Malik Muhammad Jayasi]

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जीवन परिचय










जन्म परिचय:- मालिक मुहम्मद का जन्म 1492 में हुआ | मलिक जी अमेठी (उत्तर
प्रदेश) के निकट जयास के रहने वाले थे | इसी कारण वे जायसी कहलाए | वे उस समाय के
सिद्ध और माने हुए फ़क़ीर माने जाते थे | उन्होंने शेख बुरहान और सैयद अशरफ को अपने
गुरुओ के रूप में उल्लेख किआ है |





साहित्यक विशषताएं:- जायसी सूफी प्रेममार्गी शाखा के सबसे श्रेष्ठ कवी माने जाते
हैं तथा उनका ‘पदमावत’ प्रेमकथात्याक परम्परा का सर्वश्रेष्ट पबंध काव्य है |
भारतीय लोककथा पर आधारित ‘पदमावत’ में सिंहल देश की राज कुमारी पदमावती  तथा चित्तोड़ के राजा रत्नसेन की प्रेम कथा है | जायसी
ने इसमें लौकिक कथा का वर्णन इस ढंग से किआ है की आलोकिक एंव परोक्षा सत्ता का
आभास होने लगता है | इस काव्य वेर्नन में में रहस्य का गहरा पूट भी मिलता है |
काव्य में प्रेम का लोकधर्मी स्वरुप मानवाना के लिए प्रेनादायी है |





भाषा शैली :- फार्शी  की मसनवी
शैली में रचित इस प्रबंध काव्य की कथा अध्यायो में बाँटी हुई नही है, बराबर चलती
रहती है | जगह-जगह पर शीर्षक के रूप में घटनाओ तथा प्रसंगो का उल्लेख अवश्य हैं |
जायसी ने इस काव्य-रचना के लिए दोहा-चौपाई की अनूठी शैली अपने है | उनकी भाषा ठेठ
अवधि है और काव्य-शैली अत्यंत प्रोढ़ एवं गंभीर | जायसी को काव्य-रचना आधार का आधार
लोकजीवन का व्यापक अनुभव है |  उनके द्वारा
प्रयुक्त रूपक, उपमा, मुहावरे, लोक्तिया यहाँ तक की पूरी काव्य-रचना पर भी लोक
संस्कृति का गहरा प्रभाव है जो उनकी 
रचनाओं  को न्य अर्थ एंव सोंदर्य
प्रदान करता है |







प्रमुख रचनाए:- पदमावत, अखरावट तथा आखिरी कलाम जायसी की प्रमुख
काव्य-कृतियाँ हैं. जिसमे पदमावत उनकी लोक प्रसिध्दि का प्रमुख आधार है |