केदारनाथ सिंह [kedarnath singh]

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जीवन परिचय













जन्म:- केदारनाथ सिंह का जन्म 7
जुलाई, 1934 को बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ | काशी हिन्दू विशवविधालय से
हिन्दी में एम.ए. करने के बाद वहीँ से उन्होंने ‘आधुनिक हिन्दी कविता में
बिम्ब-विधा ’ विषय पर पि.एह.दी.(
PHD)
की उपाधि प्राप्त की | कुछ समय गोरखपुर में हिन्दी के प्राध्यापक रहे, फिर जवाहर
लाल नेहरु विशवविधालय में भारतीय भाषा केंद्र में हिन्दी के प्रोफेसर पद रहे सेवानिवृत
हुआ | ये अब भी दिल्ली रह कर स्वतंत्र लेखन क्र रहे है |








साहित्यिक विशेषताएँ:- केदारनाथ
सिंह मूलतः मनवीय संवेदनाओ के कवी हैं | अपनी कविताओ में उन्होंने बिंब-विधान पर
अधिक बल दिया हैं | केदारनाथ सिंह की कविताएँ में व्यर्थ का शोर-शराबा न होकर,
विद्रोहका शांत और श्यंत शवर सशक्त रूप से उभरता हैं | ‘जमीं पाक रही हैं ’ संकलन
में ‘रोटी’ , ‘जमीन’ , ‘बैल’ , आदि उनकी कविताएँ इसी प्रकार ही है | विचार्बोध और
संवेदना उनकी कविताओ में साथ-साथ चलते हैं |





          जीवन के बिना प्रकृति और
वस्तुएँ कुछ भी नही है- इस ब्बत का अहसास उन्हें उपनी कविताओं में आदमी के और समीप
ले आया है | इस प्रक्रिया में केदारनाथ सिंह की भाषा और भी नम्य और पारदर्शक हुई
है और उनमे एक नया बेलौसपन और ऋजुता आई हैं | उनकी कवितायों में रोज मर्रा की
जिन्दगी के अनुभव परिचित बिंबो में बदलते दिखाई देती हैं | उनके शिल्प में बातचीत
की सहजता और अपनापन अनायास ही दृष्टीगोचर होता है |





सम्मान व पुरस्कार:- 1989
में उनको ‘अकाल में सारस’ कविता संग्रह पर ‘सहित्य अकादमी पुरस्कार’ से और 1994
में मध्य प्रदेश शासन द्वारा संचालित मैथिलिशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान तथा व्यास
सम्मान, दयावती मोदी पुरस्कार,  कुमारन
आशान, आदि अन्य कई सम्मानों से सम्मानित किया गया हैं |





प्रमुख रचनाएँ:- अब तक केदारनाथ
सिंह  के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हुए
हैं- अकाल में सारस, अभी बिलकुल अभी, जमीं पाक रही है, यहाँ से देखो, उत्तर कबीर
तथा अन्य कविताएँ और बाघ | ‘कल्पना और छायावाद’ उनकी आलोचनात्मक पुरस्कार हैं जबकि
‘मेरे समाय के शब्द’ निबंध संग्रह हैं | हाल ही में उनकी प्रमुख कविताएँ का,
संग्रह प्रतिनिधि कविताएँ नाम से प्रकाशित हुए है | ‘ताना-बाना ’ नाम से विविध
भारतीय भाषाओ का हिन्दी में आनुदी काव्य संग्रह हाल ही में प्रकाशित हुई हैं |